Unhappy over China’s terrorist thinking, about 300 companies are preparing to set up plants in India.
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G-7 देशों ने जब एक सुर में चीन का विरोध किया तो चीन बौखला गया है। उसने पकिस्तान और नार्थ कोरिया के साथ छोटे-छोटे एटम बम का परिखां करना शुरू कर दिया ताकि वो दुनिया को ये दिखा सके कि वो किसी भी हालात से निपटने में सक्षम है और वो किसी कि धमकी से डरता नहीं है। लेकिन ऐसा है नहीं , अभी हाल ही में जापान ने अपनी समस्त कंपनियों को चीन से निकल जाने का फरमान सुना दिया है, जिसकी वजह से अन्य देशों कि कंपनियां भी चीन से निकल कर कही और अपने प्लांट लगाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। दरअसल वहां से निकले कोरोना वायरस को चीन ने WHO कि मदद से काफी दिनों तक दुनिया से छिपाये रखा. लेकिन उससे हुयी आपदा और इसकी भूमिका में चीन की बदनामी ने उसकी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी हैऔर इसका सीधा फायदा भारत को मिलता दिख रहा है। स्थिति ऐसी बन गई है कि 1000 से अधिक विदेशी कंपनियां चीन छोड़कर भारत आने को तैयार है। Business Today की एक रिपोर्ट की मानें तो करीब 1000 विदेशी कंपनियां ऐसी हैं जिनकी नजरें भारत में उत्पादन शुरू करने पर टिकी हैं। इन कंपनियों के बीच “Exit China” मंत्र यानी चीन से निकलने की सोच मजबूत होती जा रही है। निश्चित तौर पर भारत की अर्थव्यवस्था के लिए यह अच्छी खबर है।
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1000 विदेशी कंपनियां जहां भारत में उत्पादन शुरू करने पर नजरें गड़ा रही हैं तो 300 कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने सक्रियता से चीन से निकलने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। ये कंपनियां भारत को एक वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर देखने लगी हैं। कंपनियों ने सरकार के अलग-अलग स्तर पर अपनी तरफ से प्रस्ताव भेजने शुरू भी कर दिए हैं। कंपनियों की तरफ से केंद्र सरकार के विभागों के अलावा विदेशों में भारतीय उच्चायोगों और राज्य के औद्योगिक विभागों के पास प्रपोजल भेजे गए हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार को भी इस तरह के प्रस्ताव मिले हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने चीन से पलायन करने वाली कंपनियों को गौतमबुद्ध नगर जनपद में जगह देने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने इस बाबत पिछले हफ्ते 15 अप्रैल को एक संयुक्त बैठक की है। जिसमें इन कंपनियों को जमीन देने पर विस्तार से विचार किया गया। उत्तर प्रदेश में आने वाली कंपनियों को सरकार द्वारा इंसेंटिव और कैपिटल सब्सिडी देने पर भी विचार किया जा रहा है। इन कंपनियों के साथ इनवेस्टमेंट प्रमोशन इकाई, केंद्र सरकार के विभागों के अलावा राज्य सरकारें बातचीत कर रही हैं।
एक बार जब कोरोना वायरस से बिगड़ी स्थिति नियंत्रण में आ जाएगी तो फिर कंपनियों के साथ वार्ता निर्णायक दौर में पहुंचेगी और भारत एक वैकल्पिक जगह के तौर पर सामने आएगा। जापान, अमेरिका और साउथ कोरिया की कंपनियां जो चीन पर निर्भर हैं, अब काफी डरी हुई हैं और भारत आना चाहती हैं। नए मैन्यूफैक्रर्स को कॉरपोरेट टैक्स बस 17 प्रतिशत ही अदा करना होगा और यह साउथ ईस्ट एशिया में सबसे कम है। चीन इस समय अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरों में है। अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन उस पर आरोप लगा रहे हैं कि उसने इस महामारी को समय रहते नियंत्रित नहीं किया है। कई देश अपने कॉरपोरेट सेक्टर को चीन से यूनिट्स बाहर करने के लिए कह सकती हैं। जापान ने तो अपने यहां के उत्पादकों से साफ कर दिया है कि वो चीन से अलग किसी और देश में अब मैन्यूफैक्चरिंग के विकल्प तलाशें। जापान की शिंजो आबे सरकार ने कहा है कि अगर देश की कंपनियां वो चीन के बाहर जापान या फिर किसी और देश में प्रोडक्शन यूनिट लगाती हैं तो फिर उन्हें 2.2 बिलियन डॉलर के पैकेज से मदद की जाएगी।