5 मुस्लिमों ने किया हिन्दू का अंतिम संस्कार : क्या थी सच्चाई !

5 मुस्लिमों ने किया हिन्दू का अंतिम संस्कार : क्या थी सच्चाई !

5 Muslims performed Hindu last rites : what was the truth !

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तेलंगाना के ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में खबर छपी कि वहाँ एक हिन्दू की मौत होने के बाद मुसलमानों ने मिल कर उसे कन्धा दिया और उसके अंतिम संस्कार की भी व्यवस्था की। खैरताबाद के 50 वर्षीय वेणु महाराज की 16 अप्रैल को एक हॉस्पिटल में मृत्यु हो गई थी। इस लेख को कोरेस्पोंडेंट प्रीति विश्वास ने लिखा था, जो अख़बार के हर संस्करण में छपा। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस खबर को हैदराबाद में पहले पन्ने पर जगह दी।

पूरे देश में इस बात को हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल कहा जाने लगा, मगर हक़ीक़त कुछ और ही थी. एक स्थानीय पत्रकार ने जब इस बात की पुष्टि करनी चाही तो मृतक के भाई विनोद ने भी बताया कि – ” ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में उनका जो बयान छपा है, उन्होंने ऐसा कुछ कहा ही नहीं है। दरअसल उनके परिवार में भाई के अलावा अब कोई भी शेष नहीं हैं. उस दिन महमूद अहमद नामक व्यक्ति भी हमसे मिलने आया, जो मेरे मृत भाई का दोस्त था। कुल 5 मुसलमान हमारे घर आए। एक के अलावा बाकियों को मैं पहचानता भी नहीं था। उनका व्यवहार अच्छा था। उन्होंने हमें खाने के कुछ पैकेट्स भी दिए, हमें सांत्वना दी और फिर चले गए। अगले दिन हमने उन सबको श्मसान घाट पर देखा। जब हमारे पक्ष के कुछ लोग अर्थी उठा रहे थे तो उन्होंने ही पूछा कि क्या वो मदद कर सकते हैं? हमें नहीं पता था कि ऐसा करते हुए उनकी तस्वीरें ली जा रही हैं। ऐसी स्थिति में किसी को नहीं पता होता कि आसपास क्या सब हो रहा है?”

इस बात से मृतक का परिवार अलबत्ता दुखी हैं, मृतक के भाई विनोद ने कहा कि वो अपने समुदाय के बीच हँसी के पात्र बन गए हैं। उन्होंने कहा कि उनका परिवार बड़ा है और लॉकडाउन की वजह से सिर्फ़ 20 लोग जुटे थे, ऐसा कुछ नहीं था कि परिवार में लोगों की कमी थी। झूठी रिपोर्ट पढ़ने के बाद लोग उनसे पूछ रहे हैं कि क्या उनके पास अर्थी उठाने के लिए 4 लोग भी नहीं थे कि उन्होंने मुसलमानों से मदद माँगी? मृतक के भाई विनोद ने अपने बचत में से 35,000 रुपए ख़र्च किए लेकिन उन्हें इस बात का दुःख है कि मुसलमानों की वाहवाही के लिए ये सब प्रपंच रचा गया। मृतक के बेटे सचिन ने भी बताया कि बस्ती के लोगों ने उनके परिवार की हर तरह से मदद की। 5 मुसलमानों ने उनके पिता के दोस्त होने की बात कह के अर्थी को कंधा दिया और इसका फोटो पत्रकारों को दे दिया। सचिन ने कहा कि टीओआई में पड़ोसियों द्वारा साथ न देने की बात एकदम ग़लत है।

सचिन ने कहा कि अंतिम संस्कार में उनकी बस्ती के लोगों ने परिवार की मदद की है, मुसलमानों ने नहीं। जबकि पत्रकार प्रीती विश्वास ने यहाँ तक दावा कर दिया कि उन्हीं मुसलमानों ने परिवार को पुलिस की अनुमति दिलाई, उनके खाने-पीने की व्यवस्था की और अंतिम संस्कार भी किया। तो अब समझ लीजिये कि जब इतने विश्वशनीय मीडिया हॉउसेज़ इस तरह की घटिया हरकतें करेंगे तो आम पब्लिक पर उसका कितना बुरा असर होगा?

तथ्य : यह दावा बिलकुल झूठ है|

सच-झूठ