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POK, गिलगित-बाल्टिस्तान के मुद्दों पर चीन नेपाल और सिक्किम पर निकाल रहा है अपनी बौखलाहट

China is venting its fury on Nepal and Sikkim on the issues of POK, Gilgit Baltistan.

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घटना-1 नॉर्थ सिक्किम के मुगुथांग के आगे नाकु ला सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच शनिवार को काफी तीखी झड़प की घटना हुयी। इस झड़प में दोनों तरफ के जवान घायल हुए। एक अफसर ने बताया कि इस झड़प में 4 भारतीय और 7 चीनी सैनिकों को चोट लगी है। इसमें दोनों देशों के करीब 150 सैनिक शामिल थे। सेना के सूत्रों का कहना है कि दोनों देशों के सैनिकों का इस दौरान काफी आक्रामक रवैया देखने को मिला।

घटना-2 नेपाल में भारत के विरोध में लगातार प्रदर्शन हो रहे है। काठमांडू में पिछले दिनों प्रदर्शन के बाद शुक्रवार को सीमा से सटे नेपाल कस्टम के सामने विभिन्न राजनीतिक दलों के विद्यार्थी संगठनों ने भारत के नए नक्शे को लेकर प्रदर्शन किया। इनका आरोप है कालापानी, लिपुलेक और लिम्पिया धुरा सहित कुछ भूभाग को भारत सरकार नए नक्शे में दिखा रहा है।

अब इन दोनों घटनाओं को समझने के लिए आइये थोड़ा पीछे चलते हैं-

घटना – 1 इधर 2016 में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों द्वारा भारत में किए गए हमलों और पीओके के अंदर भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे और अप्रैल में पाकिस्तान सरकार द्वारा भारतीय कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनाने से रिश्ते और बिगड़ गए थे। तो दूसरी तरफ डोकलाम में भारत और चीन के बीच 16 जून 2017 को दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। चीन और भारत के बीच ये तनाव 72 दिन चला था। भारतीय सेना ने वहां चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था, जिससे डोका ला जनरल इलाके में चीन और भारत की फौजों में हाथापाई से हुई थी जबकि चीन का दावा था कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा था।

मुद्दा- भारत का सर्जिकल स्ट्राइक और कुलभषण जाधव के मुद्दे पर इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में चीन और पाकिस्तान की करारी हार।

परिणाम- नतीजन भारत ने 06-August-2019 को कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35A को हटा दिया, जिससे पकिस्तान को टेररिज्म के लिए फंडिंग करने वाला चीन तिलमिला गया।

घटना -2  सितम्बर 2018 में पहले तो नेपाल ने बिम्सटेक देशों के पुणे में आयोजित संयुक्त सैन्य अभ्यास में शामिल होने से इनकार कर दिया और फिर नेपाल ने 17 से 28 सितंबर तक चीन के साथ 12 दिनों का सैन्य अभ्यास करने का निर्णय लिया। नेपाल ने ऐसा करके भारत के ज़ख़्म पर नमक डाला है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक यह चीन के साथ इस तरह का दूसरा सैन्य अभ्यास था। नेपाल ने चीन के साथ इस तरह का सैन्य अभ्यास इससे पहले साल 2017 अप्रैल में किया था।

नेपाल एक लैंडलॉक्ड देश है और वो भारत से अपनी निर्भरता कम करना चाहता है, इसलिए नेपाल को चीन अपने थिंयान्जिन, शेंज़ेन. लिआनीयुगैंग और श्यांजियांग पोर्ट को इस्तेमाल करने की इजाज़त देने का वादा भी किया था। नेपाल के लिए एक बड़ा मुद्दा ये भी था कि नंवबर 2016 में मोदी सरकार ने अचानक से नोटबंदी कर दी थी, जिससे नेपाल बुरी तरह प्रभावित हो गया था। काफी नेपालियों का ऐसा मानना है कि – ‘भारत सैकडों सालों तक उपनिवेश रहा है, लेकिन नेपाल कभी किसी का उपनिवेश नहीं रहा। भारत में औपनिवेशिक मानसिकता केवल यहां की राजनीति में ही नहीं है बल्कि समाज और बुद्धिजीवियों में भी दिखती है। हमें नेपाल का गार्ड मंजूर है, नौकर मंजूर है पर एक संप्रभु देश मंजूर नहीं है।”

मुद्दा – भारत के लिए नेपाल और चीन की बढ़ती नजदीकियां चिंता बढ़ाने वाली बात थी कि नेपाल और उत्तर के पड़ोसी चीन में सैन्य गतिविधियां बढ़ रही हैं। जैसे तिब्बत के प्रांतो का चीन का दखल है वैसे वो नेपाल को बरगला कर अपने साथ मिलाना चाहता है, ताकि भारतीय सीमाओं का घेराव कर सके। 6 अप्रैल 2018को नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नई दिल्ली में एक प्रेस कॉ़न्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि – ”भारतीय निवेशक दुनिया भर के देशों में निवेश कर रहे हैं, लेकिन अपने पास के ही नेपाल में नहीं करते हैं। आख़िर ऐसा क्यों है? हम भौगोलिक रूप से पास में हैं, आना-जाना बिल्कुल आसान है, सांस्कृतिक समानता है और ऐसा सब कुछ है जो दोनों देशों को भाता है फिर भी निवेश क्यों नहीं होता?”

परिणाम- आज नेपाल में भारत को लेकर विरोध प्रदर्शन किये जा रहे हैं, कारण भले ही नेपाल के कालापानी, लिपुलेक और लिम्पिया धुरा सहित कुछ भूभाग को भारत सरकार नए नक्शे में दिखाया जाना बताया जा रहा हो, मगर इसके पीछे किसका हाथ है ये बताने की जरुरत नहीं कि महत्वकांक्षी और विस्तारवादी सोच रखने वाले चीन की ही काली करतूत है जिसने पूरी दुनिया को कोरोना के भयंकर जाल में फंसाकर अपना उल्लू सीधा करने में लगा हुआ है।

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