Honey is real or fake, the easiest and best way to identify.
शहद में किसी प्रकार का जीवाणु या विषाणु पनप ही नहीं सकता, इसलिए शहद एक बेहतरीन एंटीसेप्टिक का काम भी करता है। मधुमक्खियां शहद के लिए पराग चुनती हैं जिसमें 60 से 80%हिस्सा जल का होता है लेकिन शहद बनाने प्रक्रिया के दौरान मधुमक्खियां इस सारी नमीं को हटा देती हैं और बचा हुआ हिस्सा शहद के रूप में बच जाता है। मधुमक्खियो के द्वारा इस प्रकार से शहद बनाने के तरीके से ही शहद ज्यादा लम्बे समय तक चल जाता है।
ये माना जाता है कि अगर शहद असली है तो हज़ारों सालों तक खराब नहीं होगा। लेकिन मिलावट और नकली चीज़ों के इस युग में किसी चीज़ की असल या नकली की पहचान करना बहुत मुश्किल है। ऐसे में हम नहीं पहचान पाते कि शहद असली है या नकली। ऐसे तो शहद की पहचान काफी तरीकों से की जा सकती है। शहद की पहचान करने के लिए आपको सबसे पहले कोई भी रद्दी कागज़ लेना है और उसके ऊपर शहद को डाल देना है।
जैसा हमने आपको पहले ही बता दिया है कि शहद बनाने की प्रक्रिया में मधुमखियां पराग से सारी नमी सुखा देती है, जिसके कारण अगर शहद असली होगा तो कागज़ कभी गीला नहीं होगा। इसे चाहे आप कागज़ के ऊपर कुछ ही समय के लिए रखें या फिर 24 घंटे तक रखें लेकिन असली शहद डालने से कागज़ कभी गीला नहीं होगा। यानि अगर कागज़ गीला होता है तो आपका शहद असली नहीं है या फिर उसमें किसी न किसी तरह की मिलावट होगी।