In the greed to become a global superpower, China has created the Corona virus, and Bhasmasur itself has become.
पूरी दुनियां में कोरोना के पैदा होने के मूल स्रोत को लेकर चीन के ऊपर सवालिया निशान उठ रहे हैं, अमेरिका भी इस बात की जांच अपनी लैब्स में करवा रहा है, कि वायरस कहीं चीन के वुहान शहर के लैब में तो पैदा नहीं किया गया, वहीँ दूसरी ओर चीन का दावा है कि कोरोना को वुहान की लैब में पैदा किये जाने का अमेरिका का आरोप सरासर बेबुनियाद है, डेली मेल के रिपोर्ट के अनुसार वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वीरोलॉजी में ये रिसर्च की जा रही थी, आपको जानकर ताज़्ज़ुब होगा कि इस रिसर्च की फंडिंग जो कि करीब 10 करोड़ रुपये थी उसे अमेरिकी सरकार ने ही की थी। कोरोना वायरस (COVID-19)एक चीनी बायोलॉजिकल वैपन है इस थ्योरी की तरफ कनाडा और अमेरिका से जुड़ी दो घटनाएं इशारा करती हैं.
पहली घटना का पता तब चला जब तीन महीने पहले एक इजरायली बायोलॉजिकल वॉरफेयर एक्सपर्ट डेनी शोहम ने भारत में छपे अपने एक लेख में लिखा कि चीन के 3 बड़े वैज्ञानिकों को कनाडा से जबरदस्ती चीन भेज दिया गया. इन तीनों ने गुपचुप तरीके से इबोला और निपाह वायरस चीन भेज दिए थे. ये लेख दिसंबर के महीने में भारत के प्रतिष्ठित डिफेंस थिंकटैंक मनोहर पर्रीकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टीडज एंड एनेलिसिस के जर्नल में लिखा था. उन्होंने लिखा था कि अगर इबोला और निपाह वायरस को दूसरे वायरस से मिलाया जाय तो वो एक बेहद ही खतरनाक जैविक हथियार बन जायेंगे. उन्होंने लिखा है कि जिन तीन चीनी वैज्ञानिकों को कनाडा से निकाला गया था उनमें से एक महिला साइंटिस्ट चीन की वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वीरोलॉजी जो कि जैविक हथियार बनाने के लिए पहले से ही बदनाम है, से संपर्क में थी.
दूसरी घटना अमेरिका की है जहां जनवरी में हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक वरिष्ट प्रोफेसर समेत चीनी मूल के 03 आरोपियों को बायोलॉजिकल रिसर्च की जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया. इनमें से एक चीन की PLA-सेना की महिला सैन्य अधिकारी भी थी जो अमेरिका में अंडर कवर एजेंट के तौर पर साईंटेफिक-रिर्सचर के तौर पर काम कर रही थी.
एक और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है- 1979 में चीन ने सीमा विवाद के चलते वियतनाम युद्ध शुरू किया था लेकिन इस ‘घोस्ट वॉर’ में चीन के 26 हजार सैनिक मारे गए थे. चीन का वो दुश्मन अब भारत का दोस्त बन चुका है और भविष्य में चीन के खतरे को टालने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल चाहता है. इसके अलावा चीन को इस बात कि भी चिंता है कि दक्षिण कोरिया, जापान, ताइवान, ताइवान, इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया अब अमेरिका क्वे दोस्त हैं. अगर युद्ध हुआ तो अमेरिका चीन को आसानी से हरा देगा. तो मतलब ये हुआ कि जो जंग समुन्द्र के रास्ते नहीं जीती जा सकती उसे चीन सस्ते सामान का निर्माण कर भारत समेत इन देशों में निर्यात वाली घुसपैठिया नीति के जरिये वहां अर्थव्यवस्था को चौपट कर देशों को मंदी और वहां के लोगों को बेरोजगार करने की रणनीति बनायीं है. अनाज आयात न होने से चीन में विद्रोह हो जाएगा इसीलिए चीन दक्षिण चीन सागर में पुराने सिल्क रूट के रास्ते को दोबारा खुलवाने के लिए फिलिपींस-अमेरिका मतभेद को हवा देकर उसके लिए नरम नीति का उपयोग कर रहा है.
चीन का अमेरिका से विवाद किसी से छुपा नहीं है, वो हर हाल में अमेरिका को वैश्विक-महाबली के पद से उतारने की फ़िराक़ में रहता है इसके अलावा उसे भारत से भी खतरा बना हुआ है. पाकिस्तान और उत्तर कोरिया चीन के दो किले हैं. एक तरफ जहाँ चीन पाकिस्तान को फंडिंग कर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता है तो दूसरी तरफ दक्षिण चीन सागर में अमेरिका से बचने के लिए उत्तर कोरिया का साथ देता है.