Interesting facts behind the “A H Wheeler Book Store”
Arthur Henry Wheelers जी हाँ ये है “A H Wheeler” का पूरा नाम। ये किसी महान व्यक्तित्व का नाम नहीं है। A H व्हीलर का देश के हर छोटे बड़े रेलवे स्टेशन पर book store खोलने के पीछे 143 साल पुराना इतिहास है। ये उस समय की बात है जब उत्तर प्रदेश को अवध प्रान्त के नाम से जाना जाता था। इस प्रान्त में आज का प्रयागराज और तब का इलाहबाद तथा कानपुर इस इतिहास से काफी गहरा नाता है। 1857 की क्रांति में बहुत अँगरेज़ अफसरों ने हिन्दुस्तानियों की आवाज़ दबाने के लिए उन्हें मौत के घाट उतार दिया था जिसमे कानपुर का एक अँगरेज़ अफसर आर्थर हेनरी व्हीलर भी था। इसने बिठूर के विद्रोह को दबाने के लिए 24 हज़ार से ज्यादा हिन्दुस्तानियों की बलि ले ली।
इस समय देश के 258 रेलवे स्टेशनों पर कंपनी के 378 स्टोर चल रहे हैं। द फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार व्हीलर के दामाद मार्टिन ब्रांड और फ्रांसीसी लेखक एमिली एडवर्ड और मोरे ने T K बनर्जी के साथ मिलकर पहला स्टॉल 1877 में इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर खोला गया। इस पर व्हीलर ने इस दावे को और भी मजबूती दी कि A. H. व्हीलर बुकस्टोर्स पहली भारतीय कंपनी है जिसे अंग्रेजों द्वारा “total rights of any business” जिसे उसने 1937 में प्राप्त में प्राप्त कर लिया था। इस एकाधिकार पीछे हाथ था मार्टिन ब्रांड के एक रिश्तेदार का जो रेलवे में बड़ा कॉमर्शियल अधिकारी था और उसने इसे भारतीय रेलवे द्वारा लागू की जा रही “New Book Policy” के जरिये व्हीलर को दिलवाया था।
आज का A. H. Wheeler & Co. Pvt. Ltd. तब A. H. Wheeler Book Store कंपनी के नाम से जाना जाता था इसमें 59% हिस्सा मोरे, 40% T K बनर्जी और 1% हिस्सा A. H. Wheeler के दामाद मार्टिन ब्रांड का था। परन्तु 1930 में T K बनर्जी 100% शेयर लेकर इस कंपनी के मालिक हो गए इस समय T K बनर्जी के परपोते और वर्तमान में कंपनी के निदेशक अमित बनर्जी हैं।
इस तरह से इस दुर्दांत अँगरेज़ अधिकारी ने रेलवे द्वारा किताबों को बेचने के एकाधिकार जरिये अपने नाम को हिन्दुस्तान में अमर कर गया। इस नाम को बदलने के लिए इंग्लैंड की सरकार पर दबाव बनाने का मतलब है ब्रिटिश हुकूमत का देश छोड़ने से पहले किये गए समझौता पत्र का उल्लंघन और विदेशी कूटनीतिक संबंधों में वैमन्सयता।