भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को सामने आया था। कोरोना वायरस का ये पहला मामला दक्षिण भारतीय राज्य केरल से सामने आया था। भारत में इस वायरस का पहला शिकार 20 साल की एक युवती थी। कोरोना पॉजिटिव पाए जाने से पहले 25 जनवरी 2020 को ही वह चीन के वुहान शहर से वापस लौटी थी, जहां से इस खतरनाक वायरस की शुरूआत हुई है। युवती तीन साल से वुहान में चिकित्सा की पढ़ाई कर रही है। वुहान में 31 दिसंबर 2019 को कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था।
वुहान से भारत आने पर पहले कोलकाता एयरपोर्ट और फिर कोच्चि एयरपोर्ट पर उनकी थर्मल स्क्रीनिंग हुई। तब तक उनमें वायरस के कोई लक्षण नहीं थे। उनकी तबियत भी एकदम सही थी। अगले दिन बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास से उन्हें एक एडवाजरी प्राप्त हुई। इसमें सलाह दी गई थी कि चीन से बाहर जाने वाले सभी लोग अपना मेडिकल टेस्ट अवश्यक करा लें। इसके बाद वह सरकारी अस्पताल में टेस्ट कराने पहुंची, तब तक सब सामान्य था। दो दिन बाद, 27 जनवरी की सुबह जब वह जगी तो उनका गला खराब था। इससे उन्हें गड़बड़ी की आशंका हो गई थी। वह फिर अस्पताल पहुंची। इस बार उन्हें भर्ती कर लिया गया और उनका कोरोना वायरस टेस्ट भी पॉजीटिव आया।
उसमें कोरोना वायरस की पुष्टि होते ही प्रशासन तुरंत एक्शन में आ गया। उससे तुरंत हर उस शख्स का नाम-पता पूछा गया, जिनसे वो भारत आने के बाद मिली थी। इसके साथ ही उसके परिवार को भी प्रशासन द्वारा बताई गई बहुत सी सावधानियों का पालन करना पड़ा। उनकी मां को त्रिस्सूर मेडिकल कॉलेज के एक एकांत वार्ड में रखा गया। इसी अस्पताल में युवती भी भर्ती थी, लेकिन दोनों मिल नहीं सकती थीं। उसके पिता और भाई को घर में ही अलग-अलग निगरानी में रखा गया था। युवती के मुताबिक जब उसके परिवार को इस तरह की सावधानी बरतनी पड़ रही थी तो वह सोच रही थी कि इस खतरनाक वायरस को लेकर घूमने से अच्छा है कि एकांत में रहा जाए, ताकि कोई और संक्रमित न हो।
वह करीब 20 दिनों तक अस्पताल के एक छोटे से कमरे में एकांत में रहीं। कमरे की एक खिड़की से बाहर देखते हुए वह पूरा दिन गुजार देती थीं। कोरोना से जंग जीतने में उनका आत्म विश्वास काफी मददगार साबित हुआ।