Watch the double meaning The Kapil Sharma Show or Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah full of simplicity and rituals?
मनोरंजन किसे नहीं पसंद है. हम अपने मनोरंजन के लिए ही तो टीवी देखते हैं और हर महीने सर्विस प्रोवाइडर्स को अच्छा खासा पैसा देते हैं. मगर क्या कभी आपने सोचा है कि इन पैसों से हम अपने और अपने परिवार के लिए क्या खरीद रहे हैं! नहीं न, तो आइये हम कुछ बिंदुओं पर विचार कर लें –
- सास बहू और बिना सर पैर की नौटंकी वाले सीरियल?
- रोज रोज वही एक तरह की फिल्में?
- न्यूज़ के नाम पर कोरी बकवास जिसमे सूचनाएं गायब हैं?
- नए उत्पाद के Ads के नाम पर अश्लीलता?
- आम बोलचाल की गन्दी और फूहड़ भाषा को सार्वजानिक तौर से अपने डायलॉग में इस्तेमाल करने की आज़ादी?
- संस्कार विहीन आचरण को प्रोत्साहित करने के लिए मटेरियल?
- मनोरंजन के लिए बने सांग वीडियो चैनल में नग्नता?
इसी कड़ी में एक नाम आता है विश्व प्रसिद्द मनोरंजक शो The Kapil Sharma Show का जिसमे मुख्य कलाकार के रूप में कपिल शर्मा स्वयं और उनकी पत्नी के किरदार में सुमोना चक्रवर्ती साथ में चाय वाले के किरदार में चन्दन प्रभाकर, दादी के किरदार में अली असगर, सपना ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली सपना का किरदार निभाने वाले अभिषेक कृष्णा हैं. हमारे प्रिय दर्शक क्या देखते हैं और पता नहीं उन्हें क्या हंसी का पंच मिलता है जिसमे कोई अपनी पत्नी का अपमान सार्वजानिक तौर से कर रहा है. एक दादी जो उम्रदराज है मगर फिर भी अपने मेहमानों को एक नवविवाहित युवती की तरह छूने चूमने-चाटने और अंग प्रदर्शन की कुचेष्टा करती नज़र आती है. दूसरी तरफ सपना अपने ब्यूटी पार्लर में मसाज के नाम पर अश्लील इशारे करते हुए दिखाई दे सकती है. एक चाय वाला जो भले ही छोटा काम करता है मगर उसका अपना स्वरोजगार है उसे कपिल शर्मा लगातार अपमानित कर बेमतलब का हास्य पैदा करने की कुचेष्टा करते रहते हैं. इससे उन लाखों लोगों के स्वरोजगार और स्वाभिमान को ठेस पहुँचाया जा रहा है.
वहीँ दूसरी तरफ तारक मेहता का उल्टा चश्मा हास्य विनोद मनोरंजन के साथ साथ संस्कारों का भी आभास देता है. जिसमे एक नवजवान बेटे का बाप होते हुए भी जेठालाल अपने पिता की डांट और मार सहता है अपने साथ काम करने वाले वाघा और नट्टू काका को प्रेम से व्यवहार करता है. अपनी पत्नी को सार्वजानिक उचित सम्मान देता है. हाँ मगर उसका दिल कभी कभी बबिता जी पर फिसल जाता है मगर उसमे भी विनोद ही उत्त्पन्न होता है अश्लीलता नहीं. स्वरोजगार करने वाले दुकान के अब्दुल भाई को सब बहुत सम्मान देते हैं. वाघा और बावरी के प्रेम का पुट डाला गया है मगर सादगी से. साथ ही साथ ये भी कि कैसे सारे मोहल्ले में सब एक दूसरे के सुख दुःख में कैसे खड़े रहते हैं ये के नवजवान पीढ़ी और समाज को सीख देता है.
अब एक जरूरी सवाल क्या आप अपने बच्चों और माँ बाप के साथ बैठ कर कोई एडल्ट इंटीमेंट सीन देख सकते हैं या किसी फिल्म या धारावाहिक में बाथरूम-बेडरूम सीन का कोई तुक बता सकते हैं? अन्धविश्वाश को ख़त्म करने वाला ये आधुनिक किताबी ज्ञान नाग-नागिन और पुनर्जन्म कि सत्यता स्थापित कर सकता है, अगर नहीं तो हम इन चीज़ों को देखने के बजाय डिस्कवरी या नेट जियो या हिस्ट्री चैनल्स क्यों ना देखें !!