विदेशी लगने वाले नाम हैवेल्स की ये है देसी कहानी, 7 लाख से 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कंपनी बनने तक का सफर

विदेशी लगने वाले नाम हैवेल्स की ये है देसी कहानी, 7 लाख से 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कंपनी बनने तक का सफर


This is the real story of foreign-sounding names Havells, the journey from 7 lakh to become a company of 10 thousand crores.

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साल था 1958, एक मामूली सा आदमी और पेशे से स्कूल टीचर कीमत राय गुप्ता ने मास्टरी छोड़ कारोबार करने का सोचा। इस सोच की बदौलत उन्होंने इसकी शुरुआत दिल्ली के भागीरथ पैलेस में एक छोटी सी इलेक्ट्रिक दुकान खोलकर की, जहां इलेक्ट्रिक सामान और केबल बेचने का काम होता था। इस छोटी सी दुकान से हुई कमाई से कीमत राम ने साल 1971 में लोकल स्विच गियर मैन्युफैक्चर ब्रांड हैवेल्स को हवेली राम गांधी से 7 लाख रुपए में खरीदा और फिर यहां से शुरू हो गयी हैवेल्स कंपनी की नई कहानी। कीमत राय गुप्ता की मौत साल 2014 में हो गई। उनके बाद कंपनी की बागडोर बेटे अनिल राय गुप्ता को मिली।

कैसे पड़ी हैवेल्स की नींव?
हवेली राम गाँधी जो कि हैवेल्स के संस्थापक थे उनसे कीमत राय गुप्ता ने इस कंपनी को खरीदने के बाद साल 1976 में दिल्ली के कीर्ति नगर में पहला स्विच मैन्युफैक्चरिंग प्लांट शुरू किया। इसके बाद साल 1983 में घाटे में जा रही इलेक्ट्रिक मीटर, टावर ट्रांसफार्मर बनाने वाले प्लांट का अधिग्रहण किया। साल 1993 में हैवेल्स कंपनी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो गई। अलवर की सूर्या केबल की घाटे वाली केबल और वायर कैटेगरी को खरीदकर मुनाफे में बदल दिया। साल 2000 में कंपनी ने यूके की Crabtree के साथ होम ऑटोमेशन के लिए ज्वाइंट वेंचर बनाया और इसी साल कंपनी भारत की दूसरी सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक स्विचगियर कंपनी बन गई।

Lloyd के कंज्यूमर ड्यूरेबल बिजनेस का भी किया अधिग्रहण-
कंपनी ने साल 2003 में फैन, CFLऔर लाइटिंग के कारोबार में कदम रखा। हैवेल्स ने साल 2006 में मूल कंपनी Crabtree की भारतीय इकाई को खरीद लिया। कंपनी साल 2010 में वाटर हीटर के कारोबार में उतरने के बाद घरेलू स्तर पर मिक्सर, आयरन और हैंड ब्लेंडर बनाने का काम शुरू किया। इसके बाद साल 2017 में Lloyd कंज्यूमर डुरेबल बिजनेस को 1600 करोड़ रुपए में खरीदा।

कंपनी की कमाई और रेवेन्यू-
फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक कंपनी की कंपनी लगातार बढ़ती गई। साल 2015 से साल 2019 के बीच पिछले पांच सालों में कंपनी का रेवेन्यू करीब दोगुना हो गया। हैवेल्स कंपनी का मौजूदा वक्त में पैन इंडिया डीलर नेटवर्क है। इसमें 11 हजार डिस्ट्रीब्यूटर और 6,500 कर्मचारी हैं। साल 2019 के चालू वित्त वर्ष में कंपनी का रेवेन्यू 10,057 करोड़ रुपए रहा, जो कि पिछले साल के मुकाबले 21% ज्यादा था। वहीं मुनाफा 11% बढ़कर 791 करोड़ रुपए हो गया है।

और आज पूरे भारत में ही नहीं विश्व में नए कीर्तिमान के झंडे ये देसी कंपनी कर रही है, सच ही कहा गया है मेहनत, ईमानदारी और लगन से किया काम आपको हमेश बुलंदियों तक ही लेकर जाता है।

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