“बचपन के प्यार” सहदेव के जरिये भारतीय बच्चो में कौन से आदर्श को स्थापित करना चाहते हैं मुख्यमंत्री जी?

“बचपन के प्यार” सहदेव के जरिये भारतीय बच्चो में कौन से आदर्श को स्थापित करना चाहते हैं मुख्यमंत्री जी?

Which ideal does the Chief Minister want to set in Indian children through “Bachpan Ke Pyaar” Sahdev?

हम भारत देश को विश्व गुरु बनाने की राह में थे कि तभी टिक टॉक जैसे दर्जनों एप भारत में दीमक की तरह घुस आये आये और महिला तो महिला पुरुष वर्ग भी महिलाओं की वेश-भूषा पहनकर लाइक और शेयर की बाढ़ में बहने लगे। June 29, 2020 में टिक टॉक बैन होने के बाद इंस्टाग्राम, शेयरचैट इत्यादि ऐप्स ने भारतियों में अपनी पैठ बना ली, कारण बहुत सीधा है बेरोजगारी और सही शिक्षा में दिशाहीनता

अभी तक इन सभी ऐप्स ने सिर्फ युवा वर्ग को ही पकड़ रखा था मगर अभी हाल ही में एक ऐसा चमत्कार हुआ है कि अब हमारे देश के भविष्य कहे जाने वाले नौनिहाल भी इसी भट्टी में झुलसाए जायेंगे। उदाहरण है छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के रहने वाले एक छोटे से बालक सहदेव दिरदो का। स्कूल के कार्यक्रम में इस बालक द्वारा गाये ‘बचपन का प्यार भूल नहीं जाना’ ने इस बालक को सोशल मीडिया ने इतना विख्यात कर दिया कि खुद रैपर बादशाह इनके साथ गाना रिकॉर्ड करना चाहते हैं। बात यहीं तक थम जाती तब भी ठीक था मगर इन्हे तो असली शोहरत तब और मिली जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री महोदय भूपेश बघेल जी ने स्वयं सम्मानित करने का निर्णय लिया।

मुख्यमंत्री महोदय जी हम आपसे प्रयाग टुडे की पूरी टीम सिर्फ एक प्रश्न करना चाहते है कि उस बालक की जो प्रतिभा थी वो समय के साथ निखरती तो और अच्छा होता। वो पढ़ लिखकर आगे चलकर सिंगिंग को भले ही अपना करियर चुनता तो कोई बात थी। मगर उस अधपके कच्चे बालपन का हरण इस उम्र में शोहरत की चकाचौंध में धकेलकर किया है उस अपराध का दंड कौन सहेगा। जानते हैं कौन – भारत के करोड़ों मासूम बच्चे जो अभी 5वीं तक भी नहीं पहुँच पाए और वो रातों रात इस चकाचौंध को पाने की लालच में अपने बचपने का गला घोंट देंगे, और इसे प्रेरित किया है आपने। एक राज्य के जिम्मेवार पद पर बैठकर आपको ये सब शोभा नहीं देता कि “मैंने इसकी कला को पहचान कर उसको निखारने का काम किया है”। आपके ही राज्य में सहदेव जैसे ना जाने कितने बालक बालिकाएं हैं जो मूलभूत चीजों के लिए संघर्ष कर रहे होंगे। उन बच्चों ने आपका ध्यान क्यों नहीं आकर्षित किया कि चलो सारे सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल बना दें ताकि समय आने पर और सही शिक्षा का सदुपयोग कर हमारे राज्य के बच्चे दिल्ली के बच्चों से आगे निकल जाए और देश-विदेश में छत्तीसगढ़ का नाम देश के नाम के साथ ऊँचा करें, क्यों नहीं किया?

आपने देश के लाखों करोड़ों बच्चों के सामने सहदेव के रूप में एक ऐसा आदर्श स्थापित कर दिया है जिससे देखा-दाखी वे भी उसकी राह पर चल पड़ेंगे। जहाँ देश विश्व गुरु बनने की बात कर रहा था वही के जिम्मेदार लोग ऐसा आदर्श स्थापित कर जाने अनजाने देश को पिछड़ी मानसिकता का देश बनाने में भी अपना योगदान देते जा रहे हैं। माननीय स्कूल स्मार्ट बनाइये बच्चे अपने आप स्मार्ट हो जायेंगे और रहे बात आपकी तो आपको ही उनके गले में मेडल डालना है। हमें भूलना चाहिए ऐसे ही कुछ लोगों ने दुनिया में लोगों अपनी इमेज चमकाने के लिए इंटरनेट सेंसेशन बनी रानू मंडल को राकेट की तरह उड़ान दी और फिर वो अंधेरों में गुम हो गयी गरीबी का मज़ाक उड़ाया गया।  इतिहास अपने को फिर से सहदेव के रूप में दोहरा रहा है।

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