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क्या आपको पता है भारत में पुलिस व्यवस्था का जन्मदाता कौन था?

Do you know who was the father of the police system in India?

#DoYouKnow #IndianPoliceHistory

1857 से पहले पुलिस का कोई अस्तित्व नही था, उस समय राजा और उनके सैनिक की प्रजा की न्याय और रक्षा व्यवस्था को सम्भालते थे। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासनकाल में भारत में पुलिस शासन की रूपरेखा का जन्मदाता लार्ड कार्नवालिस था। वर्तमान काल में हमारे देश में अपराधनिरोध संबंधी कार्य की इकाई जिसका दायित्व पुलिस पर है, थाना अथवा पुलिस स्टेशन पर है। थाने में नियुक्त अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा इन दायित्वों का पालन होता है। सन् 1861 के पुलिस ऐक्ट के आधार पर पुलिस शासन प्रत्येक प्रदेश में स्थापित है। इसके अंतर्गत प्रदेश में महानिरीक्षक की अध्यक्षता में और उपमहानिरीक्षकों के निरीक्षण में जनपदीय पुलिस शासन स्थापित है। प्रत्येक जनपद में सुपरिटेंडेंट पुलिस के संचालन में पुलिस कार्य करती है। सन् 1861 के ऐक्ट के अनुसार जिलाधीश को जनपद के अपराध संबंधी शासन का प्रमुख और उस रूप में जनपदीय पुलिस के कार्यों का निर्देशक माना गया है। 17 अगस्त 1865 को नियुक्त प्रथम पुलिस आयोग में भारत में पुलिस की वांछित प्रणाली के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश शामिल किये गए और पुलिस को एक सरकारी विभाग के रूप में परिभाषित किया गया था ताकि वह कानून व्यवस्था बनाए रख सके, कानून लागू कर सके और अपराध को रोक सके और उसका पता लगा सके।

ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा पुलिस व्यवस्था लागू करने का एकमात्र उद्देश्य राष्ट्रीय विद्रोह को दबाने के लिए इस्तेमाल किया गया था, जिस कारण पुलिस का गठन जिस उद्देश्य पूर्ती हेतु किया गया था उसके उलट उसका हिंसक चरित्र और एक भद्दा रवैया सामने आ रहा था जो औपनिवेशिक शासन के लंबे समय तक चले जाने के बाद भी खत्म नहीं हुआ है। उदाहरण के लिए, संसद की एक समिति ने 1813 में रिपोर्ट किया कि पुलिस ने “शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने वाले निवासियों पर प्रतिशोध, उसी प्रकृति का अपराध किया जैसा कि डकैतों द्वारा किया जाता है या उन्हें दबाने के लिए नियोजित किया गया हो” और विलियम बेंटिक, गवर्नर-जनरल, ने 1832 में लिखा था कि “पुलिस का स्वरुप एक भेड़िये जैसा है जो शिकार के लिए अधिक क्रूर जानवर है।”

ब्रिटिश द्वारा भारतीय परिषद अधिनियम 1861 ने भारत में एक पेशेवर पुलिस नौकरशाही बनाई गयी। इसने सुपीरियर पुलिस सेवाओं (बाद में नाम बदलकर भारतीय इंपीरियल पुलिस) की स्थापना की। इस व्यवस्था में इंस्पेक्टर जनरल (IG) प्रांतीय पुलिस प्रशासन के प्रमुख थे। जिलों में विभाजित प्रांतों का नेतृत्व पुलिस अधीक्षकों (SSP/SP) द्वारा किया जाता था। भर्ती नामांकन या सिफारिश द्वारा किया जाता था। यह दो तरीकों से किया गया था – या तो ब्रिटिश सेना के अधिकारियों को नियुक्त किया गया था या यूनाइटेड किंगडम में भूस्वामियों के सिफारिश पर।

अधिकारियों की भर्ती की नामांकन प्रणाली को 1893 में हटा दिया गया था। अधिकारियों को भारतीय पुलिस में भर्ती करने के लिए एक संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (Joint Competitive Examination) शुरू की गई थी। यह परीक्षा लंदन में आयोजित की जाती थी। इस तरह की पहली परीक्षा जून 1893 में आयोजित की गई थी और मेरिट सूची में शीर्ष दस उम्मीदवारों को भारतीय इंपीरियल पुलिस में प्रोबेशनर के रूप में नियुक्त किया गया था।

1902 – 03 में, सर एंड्रयू फ्रेजर और लॉर्ड कर्जन के तहत एक पुलिस आयोग की स्थापना की गई थी। आयोग ने अधिकारियों के स्तर पर भारतीयों की नियुक्ति की सिफारिश की (इसके पहले इस प्रकार की अनुमतिया नहीं हुआ करती थी)। हालाँकि, भारतीय केवल अधिकतम इंस्पेक्टर ऑफ़ पुलिस के पद तक ही पहुँच सकते थे और उन्हें भारतीय इंपीरियल पुलिस का हिस्सा नहीं माना जाता था।

1920 से, भारतीयों को भी भारतीय इंपीरियल पुलिस का हिस्सा बनने की अनुमति दी गई थी और लंदन और भारत में उसके लिए संयुक्त प्रतियोगी परीक्षाये आयोजित की गई थी। 1907 से, इस पुलिस बल के अधिकारियों को उनके सचिवों द्वारा “I.P” पत्र पहनने के लिए निर्देशित किया गया था ताकि वे उन अधिकारियों से अलग हो सकें जिन्हें राज्य सचिव द्वारा प्रतियोगी परीक्षा द्वारा भर्ती नहीं किया गया था। 1917 में, इस्लिंगटन आयोग की एक रिपोर्ट में पहली बार लेबल इंडियन पुलिस सर्विस का उल्लेख किया गया था। 1932 में, नाम बदलकर सिर्फ भारतीय पुलिस हो गया। 1948 में, स्वतंत्र भारत में इंपीरियल पुलिस को औपचारिक रूप से भारतीय पुलिस सेवा (IPS) द्वारा नाम बदल दिया गया। भारत को आजादी तो मिल गयी लेकिन वो “इंडियन पुलिस एक्ट” आज भी चल रहा है।

Gazetted Police Officers

1.Director of Intelligence Bureau (DIB)

2.Director General of Police (DGP)

3..Additional Director General of Police (ADGP)

4.Inspector General of Police (IGP)

5.Deputy Inspector General of Police (DIG)

6.Senior Superintendent of Police (Selection Grade) (SSP)

7.Superintendent of Police (SP)

8.Additional Superintendent of Police (Addl SP)

9.Deputy Superintendent of Police (DSP)

10.Assistant Superintendent of Police (ASP) (Probationary Rank: 2 years of service)

11.Assistant Superintendent of Police (ASP)(Probationary Rank: 1 year of service)

Non – Gazetted Police Officers
  1. Inspector (In some states/UTs only)

2.Assistant Inspector (In Maharashtra Police only)

3.Sub Inspector

4.Assistant Sub-Inspector

 

पहला पुलिस स्टेशन-
17 वीं शताब्दी (1655 तक) के दौरान, वर्तमान मुंबई का क्षेत्र पुर्तगाली नियंत्रण में था। पुर्तगालियों ने 1661 में पुलिस आउट-पोस्ट की स्थापना कर इस क्षेत्र में सर्वप्रथम एक बुनियादी कानून प्रवर्तन संरचना का गठन किया था। 27 अक्टूबर 1973 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा कोझिकोड में स्थित भारत का पहला महिला पुलिस स्टेशन स्थापित किया गया था।

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