And when the news of father’s death came during the meeting of COVID-19, Yogi Set the example of dutifulness.
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी वास्तव में योगी हैं ! अपने पूर्वाश्रम पिता आनंद सिंह बिष्ट जी के देहांत का समाचार मिल जाने के बाद भी उन्होंने COVID-19 के लिए बुलाई बैठक जारी रखी ! किसी व्यक्ति में ये गुण तभी आते हैं जब व्यक्ति अपने निजी शोक-हर्ष से ऊपर उठ जाता है तभी योगी कहलाता है। गीता में श्री कृष्ण ने भी अर्जुन को महाभारत युद्ध के प्रारम्भ में भी यही उपदेश दिया था। रामायण के सन्दर्भ में भी श्री राम चंद्र अपने अनुज भरत को यही समझते हुए कहते हैं कि ये सन्यासी ही सर्वोच्च कोटि का राजा बन सकता है, वो अपनी प्रजा के प्रति कर्तव्यों का निर्वहन बड़ी सहजता से कर सकता है। वो सुख दुःख, मान अपमान और यश अपयश से ऊपर उठकर सिर्फ देश और प्रजा का चिंतन करता है।
ये बात आज बड़ी सहजता से योगी जी ने अपने पिता के अंतिम दर्शन व अंतिम संस्कार को ज्यादा महत्व न देते हुए अपने संवैधानिक पद जिम्मेदारियों के कर्तव्यों को श्रेष्ठ रखकर बता दिया। इसके अलावा उन्होंने अपने पूर्वाश्रम के सम्बन्धियों पत्र लिखकर अपने पिताजी के लिए शोक व्यक्त किया और आग्रह किया कि उनके अंतिम संस्कार में काम से काम लोग ही जाएँ जिससे सोशल डिस्टैन्सिंग के नियमो का पालन हो सके। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि लॉकडाउन की अवधि पूर्ण होते ही अपने शोक संतृप्त परिवार से मिलने भी आएंगे। उन्होंने अन्य लोगों के सामने एक मिसाल पेश की है कि जो कानून आम जनता के लिए है वही कानून मेरे लिए भी है। गर्व है कि आप जैसे स्थितप्रज्ञ कर्तव्यनिष्ठ योगी के हांथ में उत्तरप्रदेश की बागडोर है।
कल 21अप्रैल को अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में लॉकडाउन की सफलता तथा महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण भाग नहीं ले पा रहा हूं।
पूजनीया माँ, पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से भी अपील है कि लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें।— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) April 20, 2020
योगी जी द्वारा दिए गए सन्देश शब्दशः इस प्रकार थे – “पूज्य पिताजी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दुःख एवं शोक है। वह मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं। जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम एवं नि:स्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया। अंतिम क्षणों में पिताजी के दर्शन की हार्दिक इच्छा थी, परंतु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने के कर्तव्यबोध के कारण मैं दर्शन न कर सका। कल 21अप्रैल को अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में लॉक डाउन की सफलता तथा महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण भाग नहीं ले पा रहा हूं। पूजनीया मां, पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से भी अपील है कि लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें। पूज्य पिताजी की स्मृतियों को कोटि-कोटि नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। लॉकडाउन के बाद दर्शनार्थ जाऊंगा।”
आपको बताते चलें कि तबीयत खराब होने पर उन्हें 13 मार्च को दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था। उन्हें लिवर और किडनी की समस्या थी। अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक वह एम्स के एबी 8 वार्ड में भर्ती थे। गेस्ट्रो विभाग के डॉक्टर विनीत आहूजा की टीम उनका इलाज कर रही थी। रविवार को उनका डायलिसिस भी कराया गया था। परन्तु आज सुबह 10.44 बजे उन्होंने उत्तराखंड के अपने पैतृक निवास स्थान पर अंतिम स्वांस लिया।